(रचनाकार - सौम्या राय)
आज सुनी एक अनहोनी कहानी - कमला हुई आज स्वर्गवासी
आज सुनी एक अनहोनी कहानी - कई साल से थी उसको ये बीमारी
महसूस करती थी हरारत हर रोज़ वो बेचारी
दवा खा कर काम चलाती थी बेचारी
कौन सी दवा?
हम क्या जाने - हम वो खावें जो नीम खिलावे
नीम? - अरे वो जो नुक्कड़ पे बैठे
हम डिस्पेंसरी नहीं जावें - वो ज़्यादातर डाँट लगावें और दवाई तीन चार रोज़ बाद मंगवाएँ
जब जावें हम नीम के द्वारे - एक injection वो झट लगावे और कुछ गोली हमे थमावें
अगले दिन हम काम पे जावें - 200 रुपये फिर मिल जावें
पर कौन सी दवा, किस बीमारी की दवा?
हम अनपढ़ ये बात क्या जाने
आज सुनी एक अनहोनी कहानी - नहीं आई आज फिर उसके घर में काम वाली
जब देखो तब लेती छुट्टी, जैसे हो कोई राज दुलारी
कल पूछेंगे क्यों आज ना आई सियानी - कुछ बात बनायेंगी महारानी - कह देंगी घर में मैं बीमार, बच्चे बीमार, मन चाहा तो पूरापरिवार बीमार
कौन निबाहे इनके साथ - नख़रे दिखाएं सौ सौ बार
आज करना पड़ेगा हमे घर का सारा काम
आज सुनी एक अनहोनी कहानी - महीने की दो छुट्टी की हक़दार थी महारानी
पर लेती कैसे छुट्टी - जब लेती वो थी छुट्टी बेचारी - अगले दिन बर्तनों का अंबार वो पाती
हर घर से हज़ार, डेढ़ हज़ार के लिए महीने भर दौड़ती भागती और एक दिन थक कर गिर जाती
आज सुनी एक अनहोनी कहानी - कमला हुई आज स्वर्गवासी
आज सुनी एक अनहोनी कहानी - नहीं काम आई उस नीम की दवा बेचारी
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